Saturday, August 29, 2009

उत्तम सत्य

"उत्तम सत्य"

जिसका मन जितना सच्चा होगा उसका जीवन उतना ही सच्चा होगा. और जीवन उन्ही का सच्चा बनता है, वह ही सच के पास जाते हैं जो कषायों से मुक्त होकर आत्मस्थ हो जाते हैं.सत्य को पाना, सच्चा होना, सच बोलना - यह तीनों ही चीज़ें हमें अपने जीवन में सीख लेनी चाहिए.
सच को पाने का सीधा सा अर्थ है की हम आत्मस्वरूप को प्राप्त कर लें. इस संसार में सच्चाई इतनी ही है की हम शुद्धता का अनुभव करें. हम अपनी निर्मलता का अनुभव करें और उसमें लीन हो जाएँ, आत्मस्थ हो जाएँ - येही सच को पाना है. निर्विकार हो जाना ही सत्य को पाना है.चारों कषायों के अभाव में हम जो अपनी आत्मा की शुद्ध अवस्था को प्राप्त करते हैं वास्तव में वही सच्चाई है. लेकिन इस सच को पाने के लिए सच का आचरण करना पड़ेगा, भीतर से सच्चा होना पड़ेगा.यदि हम इतना पुरुषार्थ कर लें तो धीरे-धीरे हमारे जीवन में खूब ऊंचाई, खूब अच्छाई आ जायेगी.

सत्य को प्राप्त करने के मायने यहीं हैं की हमारा जीवन अत्यंत शांत और राग- द्वेष से रहित हो जाए .जब भी हम किसी की सच्चाई का सम्मान नहीं करते तोह मानियेगा हम उस व्यक्ति को झूठा होने के लिए प्रेरित करते हैं. यदि हम सच्चाई का सम्मान करना शुरू कर दें तो कोई व्यक्ति झूट क्यूँ बोलेगा ?

जिसका जीवन सच्चा हो जाता है, उसके द्वारा बोला गया हर शब्द सत्य होता है. क्यूंकि सच्चा व्यक्ति कभी दूसरो को क्षती नहीं पहुंचता .यदि झूठा व्यक्ति सच भी बोलेगा तो दुसरे को क्षती पहुंचाने के लिए ही बोलेगा .इसलिए बहुत ज़रूरी है पहले सच्चा होना और फिर सच बोलना.

आचार्यों ने स्पष्ट करने के लिए लिखा है - "सत्यम वद प्रियंवद " . सच बोले , प्रिय बोले. अप्रिय और असत्य तो बोलो ही मत. यदि झूट भी प्रिय हो तो मत बोलो और सच भी अप्रिय हो तो मत बोलो. इस प्रकार हम संभलके सोच-समझके अपने वचनों का प्रयोग करें तो अपने जीवन को उंचा उठा सकते हैं.
गुरुवर क्षमासागरजी महाराज की जय!


3 comments:

  1. आपने ठीक कहा है...सच का मार्ग कठिन अवश्य है पर चलना इतना भी मुश्किल नहीं...सच का पालन हम सबको करना चाहिए...

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  2. जिसका जीवन सच्चा हो जाता है, उसके द्वारा बोला गया हर शब्द सत्य होता है|

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  3. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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